स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी,बिना पंजीयन के चल रहा है अस्पताल अधिकारीयों को नहीं है होश।

ताज ख़ान
इटारसी//
जिले के स्वास्थ्य मेहकमें की अनदेखी का शिकार होते हैँ नागरिक ज़िले के कई अस्पताल बिना पंजीयन के चल रहे हैं, अपनी राजनीतिक पकड़ के चलते प्रशासन भी उनके सामने बोना दिखता है, राजनैतिक संरक्षण से संचालकों का मानना यह है कि हमारे हॉस्पिटल में जो हम चाहेंगे वह करेंगे।ऐसा ही उदाहरण इटारसी के माता मंदिर अस्पताल का है जहाँ 31 मार्च 2023 को उनका स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किया पंजीयन प्रमाण पत्र की वैधता खत्म हो गई है जो अभी तक रिन्यू नहीं हुई है,बताया जाता है कि सीएमएचओ कार्यालय द्वारा 10,4, 23 को एक पत्र जारी किया गया था जिसमें माता मंदिर हॉस्पिटल के पंजीयन खत्म हो जाने की सूचना दी गई थी इसके बाद भी अस्पताल संचालक ने कोई ध्यान नहीं दिया और वह अपने दल बल और रसूख के हिसाब से काम करते चले आ रहे हैं।बताया जाता है कि उक्त अस्पताल में अनेक नियम विरुद्ध काम भी हुए हैं जिसकी चर्चाएं कोरोना काल में भी बहुत रहीं थीं।एक वरिष्ठ पत्रकार की माने तो मृत मरीजों की किडनी निकालने का मामला भी सुनाई आया था, बताया जाता है कि माता मंदिर अस्पताल जहां पर बना हुआ है अस्पताल ने नगरपालिका की एक सड़क पर भी अपना अतिक्रमण कर आमजन को आने जाने से रोक रखा है। इसकी शिकायत कई बार नपा और कलेक्टर कार्यालय में भी की गई लेकिन अस्पताल संचालक की पकड़ होने से वो मामला भी समाप्त हो गया,वे कहते हैं कि भाजपा शासन में हम जो चाहेंगे वह करेंगे इससे हम पर कोई उंगली नहीं उठा पाया, दूसरा उदाहरण नर्मदापुरम के एक डे केयर अस्पताल का है जो नर्मदापुरम में दो तीन जगह अस्पताल चला रहे हैं लेकिन जिनको अनुमति कुछ है और हो कुछ और रहा है,उनकी कहानी भी माता मंदिर अस्पताल से अलग नहीं है नियम विरुद्ध जो भी काम होते हैं वह करने में पीछे नहीं होते मरीजों के साथ कैसा खिलवाड़ करते हैं वह तो मरीज़ के परिवार और मरीज स्वयं ही बखान करते हैं। बताया जाता है कि नर्मदापुरम के वरिष्ठ नेता भा जा पा,से पिछले 15 सालों से जुड़कर उन्होंने अपने अस्पताल में अनैतिक काम कर भारी मुनाफा कमाया है फर्जी प्रमाण पत्र बनाए जाने साँथ पंजीयन नहीं होते हुए भी अनेक मरीज़ों को फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर दे देते हैं और उनसे मोटी रकम वसूली जाती है,ऐसी स्थिति में कई मरीज आज भी भटक रहे हैं जिन्होंने अपना इलाज तो कराया था लेकिन अब डिस्चार्ज और भर्ती होने के कागज लेने के लिए पैसे देने पड़ रहे हैं,क्योंकि शासकीय सेवा में दाखिल करने हैं इसलिए मरीज और मरीज़ो के परिवार परेशान है,

इनका कहना है
हमारी ओर से दो बार पत्र जारी किए गए जिसका उन्होंने उत्तर अभी तक नहीं दिया है उनकी ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
सीएमएचओ
दिनेश देहलवार

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