में रहूं न रहूं आप की संसार को ज़रुरत है,आरिफ़ चिश्ती ने लिखा प्रेमानंद महाराज को पत्र,किडनी देने का किया आग्रह।

ताज ख़ान
नर्मदापुरम//
तप,त्याग,शौर्य,और प्रेम की भूमि भारत की सर ज़मीन पर हमेशा से मानवता की अलख जगाने पीर,फक़ीर,साधु,संतों ने मोर्चा संभाला हुआ है।जिसने देश को एक सूत्र में बांधा हुआ है।आज भी संतों ने अपने आचरण से लोगों के दिल में विशेष स्थान बनाया हुआ है।ऐसी ही एक भाईचारे की मिसाल इटारसी के युवा आरिफ़ ख़ान चिश्ती पिता जमील ख़ान निवासी न्यास कालोनी इटारसी,ने पेश करते हुए पूरे समाज को गौरवान्वित किया है।आरिफ़ ने वृंदावन के जनप्रिय संत प्रेमानंद महाराज को अपनी किडनी डोनेट करने के लिए श्री हितकेली कुंज वृंदावन,महाराज के आश्रम को पत्र लिखा है,जिसमें उन्होंने महाराज जी को अपनी किडनी डोनेट करने की बात कही है।आरिफ़ एक सामाजिक संस्था तंज़ीम इस्लाहुल मुस्लेमीन का भी संचालन करते हैं,वहीं आरिफ़ युवाओं में खासे लोकप्रिय भी हैं,और सामाजिक गतिविधियों में अग्रसर रहते हैं।आरिफ़ से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि वे अहलेबैत नबी (पैगंबर) मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम के खानदान से मोहब्बत करने वालों में से हैं,जिन्होंने हमेशा मोहब्बत का पैग़ाम दिया है। वे प्रेमानंद महाराज के आचरण और व्यवहार को देख कर बहुत ज्यादा प्रसन्न हैं,और उनके क़ायल भी हैं।वहीं उनके स्वास्थ को लेकर चिंतित भी हैं।उन्हें सोशल मीडिया एवं अख़बारों के माध्यम से ज्ञात हुआ की महाराज जी की किडनी में ख़राबी है।जिससे उन्हें बेहद चिंता हुई और ये निर्णय लिया कि वे अपनी स्वेच्छा से उन्हें अपनी किडनी डोनेट करें।महाराज जी हिंदुस्तान में हिन्दू,मुस्लिम एकता के प्रतीक हैं।आरिफ़ कहते हैं कि आज ऐसे नफरती माहौल में प्रेमानंद महाराज जैसे संतो का संसार में रहना अति आवश्यक है।में रहूं या न रहूं इन जैसे संतों की संसार को ज़रुरत है।में ख़ुद पीर फ़क़ीरों से जुड़ा हुआ हूं और मुझे पता है देश की संप्रभुता,अखंडता,मानवता और उन्नति के लिए इन सूफ़ी संतों की आज हमारे देश को बेहद ज़रूरत है।इसलिए में अपनी स्वेच्छा से किडनी डोनेट करना चाहता हूं।जब से आरिफ़ का लिखा पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है सभी के द्वारा इस पहल की तारीफ़ की जा रही है,और ये चर्चा का विषय बना हुआ है।

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