अधिकारियों की लापरवाही के शिकार युवक ने कमिश्नर, कलेक्टर से मांगी इच्छा मृत्यु, नगर पालिका अधिकारी के भ्रष्टाचार को किया था उजागर।

  • ताज ख़ान
    नर्मदापुरम //
    नर्मदापुरम में शुक्रवार को अनोखा मामला सामने आया जहां आधार केंद्र संचालक राहुल वानखेडे पिता नामदेव वानखेड़े निवासी ग्वालटोली नर्मदापुरम ने अधिकारियों की प्रताड़ना और अनदेखी से परेशान होकर आयुक्त नर्मदापरम संभाग, कलेक्टर नर्मदापुरम, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक नर्मदापरम,के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर इच्छा मृत्यु की मांग की है।राहुल के मुताबिक वह नगर पालिका नर्मदापुरम में आधार केंद्र संचालित करते थे। जिसे हटाने के लिए अपर कलेक्टर (विकास) मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला ई-गवर्नेंस सोसायटी,मुख्यनगर पालिका अधिकारी नर्मदापुरम ने आदेशित किया।जब मेरे द्वारा पूछा गया कि कारण क्या है मुझे हटाने का तो उन्होंने पत्र द्वारा कहा कि में अनैतिक तरीके से पार्षदों से लड़ता हूं,आम नागरिकों को परेशान करता हूं, और उस पत्र में लिखा था कि में (हरिजन एक्ट) की धमकी देता हूं,जबकि यह बिल्कुल गलत कथन है।मेरे द्वारा यह आपत्ति ली गई है की मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पालिका नर्मदापुरम ने पत्र में साफ तौर पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना की है जिसमें यह सर्वोच्च न्यायालय ने आदेशित किया था कि कोई भी अधिकारी जाति सूचक शब्द में (हरिजन) शब्द इस्तेमाल नहीं करेगा,अगर इस्तेमाल करना है तो अनुसूचित जाति शब्द का इस्तेमाल करेगा, इसके बावजूद अपर कलेक्टर नर्मदापुरम,मुख्य नगर पालिका अधिकारी नर्मदापुरम,और साथ में नगर पालिका कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ने (हरिजन )शब्द कहकर हमारे वर्ग को पीड़ित किया है। इसके विरुद्ध मेरे द्वारा अजाक थाने में मुख्य नगर पालिका अधिकारी और संबंधित लोगों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई के लिए आवेदन देकर न्याय मांगा गया था,जिस पर थाने से कहा गया हमारे वरिष्ठ अधिकारी विधानसभा ड्यूटी पर हैं इस कंप्लेंट को सिटी थाने भेजा जा रहा है।सिटी थाने से कहा गया इस पर हम कार्यवाही नहीं करेंगे आपको अजाक थाने में ही जाना पड़ेगा।इस तमाम कार्यवाही के लिए विगत एक महीना गुजर गया है क्योंकि यह सब बड़े अधिकारी हैं इसलिए सामान्य व्यक्ति परेशान होता है जैसा मेरे साथ हो रहा है। मुझ पर द्वेष पूर्वक कार्रवाई भी इसलिए की गई थी क्योंकि मेरे द्वारा नगर पालिका के भ्रष्टाचार को उजागर किया गया था जिसमें नगर पालिका की सिटी मिशन मैनेजर श्रीमती दिव्या मिश्रा खुद लिप्त हैं।मामला नर्मदापुरम में पीएम स्वनिधि के अंतर्गत आवेदन के नाम पर ₹100 एवं सत्यापन शुल्क के लिए ₹100 गरीब मजदूर वा असंगठित कामगारों से वसूले जा रहे थे। गरीब लोगों से इस तरह ₹200/ लिए जा रहे थे जो नहीं देता था तो योजना के अंतर्गत उसका लोन नहीं किया जाता था। यह सब काम बस स्टैंड स्थित रैन बसेरा में चल रहा था जिसमें सिटी मैनेजर के साथ शुभम शर्मा,रानी गौर,की भागीदारी थी उसी लोन के लिए जब मेरी बहन ने आवेदन किया तो इन लोगों ने उससे भी पैसे मांगे जब मुझे यह बात पता चली तो मेरे द्वारा संपर्क करने पर इन लोगों ने कहा की पैसा लगता है फ्री में नहीं होता है,अगर शिकायत करनी है तो जाओ जहां करना है कर दो फर्क नहीं पड़ता। उसके बाद मेरे पास 10/01/2024,को मुख्य नगर पालिका अधिकारी का पत्र क्र.6509/न.पा./सा.प्र. वि /2023, ओर अपर कलेक्टर का पत्र क्र.6222/न.पा./सा. प्र. वि./2023 जारी कर मेरा आधार सेंटर हटाने का आदेश दे दिया गया।उक्त पत्र में मुझे जाति सूचक शब्द से संबोधित किया है,इसीके बाद मेरा नगर पालिका परिषद नर्मदापुरम में रखे आधार केंद्र की सामग्री को जप्ती कर मेरी आधार केंद्र की सामग्री को क्षति पहुंचाई गई है।जिसके पूर्ण जिम्मेदार नगर पालिका अधिकारी और संबंधित अधिकारी नर्मदापरम है।तब से लेकर अब तक इन अधिकारियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई है जब के सीधा-सीधा सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए इन अधिकारियों ने अपनी सीमाएं लगी हैं,साथ ही मुझे मानसिक तौर से प्रताड़ित किया जा रहा है। इन सब से ग्रस्त होकर मेरे द्वारा कमिश्नर,कलेक्टर नर्मदापुरम के समक्ष इच्छामृत्यु की अनुमति देने की गुहार लगाई है।

  •  इनका कहना है
  • हमने इस प्रकरण को संज्ञान  में लिया है,लेकिन इसपर कोई अपराध सिद्ध नहीं होता है, हरिजन शब्द अपराध की श्रेणी में नहीं आरहा है,फिर भी हमने डी.पी.ओ को पहुंयाया है अगर कुछ होगा तो फिर देखलेंगे।

  • निशा अहिरवार

  • थाना प्रभारी अजाक,नर्मदापुरम।

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