अब बंद खदानों से सिंडीकेट की तीन कंपनी करेंगी उत्खननन, बारिश में बंद खदानों से शुरू कर दिया उत्खनन।
ताज ख़ान
नर्मदापुरम //
नर्मदापुरम //जिले भर की 118 रेत खदानों पर माईनिंग अधिकारी ने खेला है खेल, दो साल से बंद खदानों को ब्लेक लिस्टेड कंपनियों को दे दिया ठेका,266/₹ करोड़ का ठेका 170/₹ करोड़ में दिया, सरकार को लगाई चपत
अब बंद खदानों से सिंडीकेट की तीन कंपनी करेंगी उत्खननन, बारिश में बंद खदानों से शुरू कर दिया है उत्खनन
जिले के माईनिंग अधिकारी माफिया को संरक्षण देकर रेत का अवैध खनन और परिवहन करवाने का खेल तो खेलते ही रहे हैं लेकिन चुनावी वर्ष में उन्होंने रेत का ठेका देने में इस बार खेल की जगह खेला कर डाला। हर क्षेत्र में महंगाई बढ़ी है और लगातार बढ़ रही है जरूरमंदों के लिए रेत पहुंच से दूर होती जा रही है लेकिन महंगाई के इस दौर में खनिज अधिकारियों ने सिंडीकेट से मिलीभगत कर खदानों का ठेका पिछले साल से लगभग आधी कीमत पर दे डाला। जिले में रेत की 118 खदाने हैं। पिछले वर्ष इनकी नीलामी से सरकार को करीब 200/₹ सौ करोड़ की आमदनी हुई थी,इस वर्ष यह ठेका 180 से लेकर 200 करोड़ तक जाना था, लेकिन मिलीभगत करके रेत के ठेके मात्र 170 करोड़ में दे दिए गए।
सूत्रों के मुताबिक जिला माइनिंग अधिकारी की भूमिका इसमें संदिग्ध रही है। ठेका देने से पहले रेत ठेकेदारों का सिंडीकेट बनवाया और सभी ने आपस में मिलकर अलग अलग नामों से टेंडर जारी किए जो पिछले वर्ष के 200/₹ करोड़ की तुलना में 40% प्रतिशत कम राशि के हैं। मिलिभगत के चलते किसी ने भी ज्यादा राशि का डेंटर नहीं भरा। इस कारण हाईएस्ट पार्टी के रूप में सिंडीकेट से जुड़े लोगों को ठेका मिल गया। ठेके आबकारी के हों या रेत के सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को दिए जाते हैं लेकिन मिलिभगत करके ठेकेदारों नें सिंडीकेट बनाया और आपस में कीमत तय की। उन्नीस-बीस के अंतर के साथ डेंटर भरे, यही कारण है कि पिछले वर्ष 266 करोड़ रु. में बिकने वाले ठेके इस वर्ष 170 करोड़ में माफियों को दे दिए गए। कुल मिलाकर इस करोड़ों के ठेके को ब्लेक लिस्टेड कंपनियों से सांठगांठ करते हुए कम कीमत पर दे दिया गया है। जबकि यही कंपनियां रेत के अवैध उत्खनन में लगी हुईं हैं। उक्त ठेका प्रकिया माईनिंग कापोरेशन भोपाल के द्वारा की गई हैं, जिसमें माफियाओं को मौका दिया गया है।
*ठेकेदारों के साथ अफसरों को भी फायदा*
रेत खदानों के इन ठेकों में ठेकेदार और अफसरों को भारी लाभ हुआ है। अनुमान के मुताबिक अगर सही तरीके से टेंडर जारी किए जाते और खुली प्रतिस्पधर्घा करवाई जाती तो इस वर्ष ठेके 180 से 200/₹करोड़ रु. के बीच जाने की संभावना थी लेकिन इस खेल में ठेकेदारों के साथ अफसरों को भी लाभ हुआ लेकिन सरकार को करोड़ों की चपत लग चुकी है।
*इनका कहना*
जिला खनिज अधिकारी देवेश मरकाम के मोबाइल नंबर से संपर्क करना चाहा लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। बता दें कि उक्त अधिकारी का इतना रसूख है की ज़िला कलेक्टर तक का फोन नहीं उठाता है।