मिशन 2023: जिले की चारों विधानसभा सीटों पर भाजपा-कांग्रेस में सीधे मुकाबले के बन रहे आसार।

ताज ख़ान
नर्मदापुरम //
कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी चयन में सामाजिक समीकरण बिगाड़ सकते हैं परिणाम,ऊंट किस करवट बैठेगा यह कहना आसान नहीं,नर्मदापुरम जिले की चारों विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का कब्जा बरकरार है। नर्मदापुरम में सियासी हलचल पर दृष्टिपात करें तो चारों विधानसभा क्षेत्र में कुछ नए चेहरों के साथ आधा दर्जन पुराने दिग्गज नेता भी दावेदारी की ताल ठोकने की जुगत में लगे हुए हैं और इसी मंसूबे के साथ दिल्ली भोपाल के कई फेरे भी अब तक लगा चुके हैं। यह बात अलग है कि भाजापा कांग्रेस के केंद्रीय एवं प्रदेशिक नेतृत्व ने उन्हें संकेत तो नहीं दिए,लेकिन पार्टी हित में मैदानी कामकाज तेज करने के लिए जुट जाने के लिये जरूरत कह दिया है। जिले की सियासी समीकरणों की बात करें तो कई दिग्गज नेताओं के दावों से प्रतीत हो रहा है कि उन्हें उनकी पार्टी से टिकट नहीं मिला तो यह किसी अन्य दल का दामन पकड़ कर अथवा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भाग्य आजमा सकते हैं। मतलब यह है कि बगावत की आंधी आगामी चुनाव में चल सकती है,जिसका सामना करना भाजपा-कांग्रेस के लिए बेहद मुश्किल भरा भी हो सकता है।
चारों विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का दो दशकों से कब्जा बरकरार है और बात सिवनीमालवा की करें तो यहां पर भाजपा और कांग्रेस से आधा दर्जन उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं।वहीं सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र में कांटे की टक्कर बताई जा रही है,लेकिन यहां पर भी अंदर ही अंदर भाजपा का एक गुट अपनी दावेदारी जता रहा है,तो इसमें कांग्रेस भी पीछे नहीं हैं।पिपरिया में ठाकुर नागवंशी की हालत पतली बताई जा रही है या कांग्रेस मजबूत है? संघ के सर्वे में भी ठाकुर नागवंशी की हालत ठीक नहीं है।नर्मदापुरम विधानसभा में पिछले चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबू सरताज सिंह भाजपा से बगावत कर कांग्रेस से चुनाव लड़े और अंतत: करारी हार का सामना करना पड़ा। यदि समय रहते इस सीट पर कांग्रेस का मजबूत और दमदार कैंडिडेट नहीं उतारा तो डा. सीतासरन शर्मा को हरा पाना बहुत मुश्किल होगा।
बता दें कि कई दशकों से नर्मदापुरम विधानसभा सीट पर शर्मा बंधुओं का कब्जा है,पिछले विधानसभा में भाजपा के ही पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं के साथ-साथ कांग्रेस ने भी डॉ. शर्मा का जमकर विरोध किया था, लेकिन जनता ने डॉ. शर्मा को जीत का सेहरा फिर उनके सिर पर बांधा। डा. शर्मा की पकड़ मजबूत है,जनता में सीधा संपर्क है। जिसका फायदा उन्हें लगभग हर चुनाव में मिलता है। इस बार कांग्रेस ने इस विधानसभा से मजबूत कैंडिडेट उतारने के लिए पार्टी सर्वे कराया है।नर्मदापुरम विधानसभा ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है। इस क्षेत्र में अभी तक शर्मा बंधुओं का कब्जा बरकरार है। पूर्व में कांग्रेस की सरकार रही, डॉ सीताशरण शर्मा इस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और कांग्रेस की लहर में भी उन्होंने भाजपा को विजय दिलाई और अपना कब्जा बरकरार रखा,अब भाजपा के डाक्टर शर्मा को टक्कर देने के लिये कांग्रेस से तीन नाम सामने आ रहे हैं,जिसमें वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. सी. सी प्रदेश उपाध्यक्ष माणक अग्रवाल,चंद्रगोपाल मलैया एवं महेन्द्र शर्मा का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है। नर्मदापुरम विधानसभा से कांग्रेस के उम्मीदवार महेंद्र शर्मा जो कि ग्राम पांजरा के कृषक हैं,कांग्रेस में लंबे समय से सक्रिय हैं और ग्रामीण अंचलों के साथ-साथ शहरी क्षेत्र में भी उनका अच्छा खासा प्रभाव है। बेदाग छवि है, उनके ऊपर किसी प्रकार के आरोप-प्रत्यारोप नहीं है।यदि कांग्रेस पार्टी उन्हें मैदान में उतारती है तो चुनाव परिणाम चौकाने वाले आएंगे,वहीं कुर्मी समाज में लंबे समय से सतत संपर्क बनाने के लिए कांग्रेस के पूर्व जिपं सदस्य चंद्रगोपाल मलैया भी सक्रिय हैं वहीं कद्दावर नेता मानक अग्रवाल भी क्षेत्र में सक्रियता बनाए हुए हैं।अब देखना यह है कि आगामी चुनाव में दोनों ही दल से कौन प्रत्याशी, किसके सामने होगा,यह आने वाला समय ही बताएगा।वहीं सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी सतपाल पलिया लगातार जनता के बीच सतत संपर्क बनाए हुए हैं।

*कुर्मी समाज का तीन विधानसभा क्षेत्र में दबदबा है।*

नर्मदापुरम क्षेत्र ब्राह्मणों  के साथ-साथ कुर्मी बाहुल्य क्षेत्र भी कहा जाता है,हालाकि कुर्मी समाज नर्मदापुरम के आसपास के क्षेत्रों के साथ सिवनीमालवा और सोहागपुर क्षेत्र में भी बटा हुआ है।जबकि तीनों विधानसभा क्षेत्र में कुर्मी समाज का अच्छा खासा वर्चस्व है। इसलिए जाती समीकरणों के अनुसार सिवनी मालवा विधानसभा क्षेत्र से भी कुर्मी समाज को मौका दिया जा सकता है। सिवनीमालवा में भी कांग्रेस से एक दमदार कैंडिडेट सुधीर पटेल का नाम हाईकमान तक पहुंचा हैं,उनकी पत्नि मीरा यादव आदिवासी वर्ग से जिला पंचायत अध्यक्ष भी है। जबकि सुधीर पटेल स्वयं कुर्मी समाज से हैं। चूंकि सिवनी मालवा में कुर्मी के साथ-साथ आदिवासी समाज भी अपना बर्चस्व रखती है,इसी को देखते हुए सुधीर पटेल को लाभ मिल सकता है। क्योंकि केसला, सूखतावा आदिवासी बेल्ट है और इसका लाभ सीधा सुधीर पटेल को मिलेगा इसलिए कुर्मी वर्ग भी दोनों सामाजिक समीकरण को देखते हुए सिवनीमालवा में भी दमदार प्रत्याशी उठाने की बात सामने आई है।

*अभी नहीं तो कभी नहीं।*

नर्मदापुरम में अगर इस बार कांग्रेस ने कोई गलती की तो यह सीट भाजपा के कब्जे में ही रहेगी क्योंकि लगभग 35 सालों से इस विधानसभा क्षेत्र में शर्मा बंधुओं का कब्जा है,इन्हें हराना आसान नहीं,जनता से सीधे मजबूत पकड़ के कारण यह सीट भाजपा के कब्जे में है। कांग्रेस ने हमेशा इस सीट पर किसी अन्य ऐसे व्यक्ति को मैदान में उतारा जो सामाजिक दृष्टि से इस सीट को हासिल नहीं कर सका। बता दें कि नर्मदापुरम विधानसभा क्षेत्र ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है, जिसमें कुर्मी समाज का भी अच्छा खासा सामाजिक वर्ग शामिल है। इन सब को देखते हुए अगर इस विधानसभा में कांग्रेस मजबूत प्रत्याशी उतारती है तो निश्चित है कि इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा होने से कोई इंकार नहीं कर सकता। पिछली बार कांग्रेस ने सरताज सिंह को लड़ाया, इससे पूर्व रवि जायसवाल लड़े, लेकिन जातिगत समीकरणों के चलते इन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। वर्तमान में कांग्रेस के सबसे प्रबल और सामान्य वर्ग से महेंद्र शर्मा दावेदार है पार्टी इन्हें प्रत्याशी बनाती है तो निश्चित है कि नर्मदापुरम विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की जीत लगभग तय है।वहीं कांग्रेस के दो उम्मीदवार भी दमदार हैं, जिसमें वरिष्ठ नेता चंद्रगोपाल मलैया और मानक अग्रवाल भी इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को अच्छी खासी टक्कर दे सकते हैं और यह सीट भाजपा से छीन सकते हैं।

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