साइबर अपराधियों पर पुलिस की पैनी नज़र नर्मदापुरम पुलिस ने जारी की एडवाइजरी

ताज ख़ान
नर्मदापुरम//
आज के आधुनिक युग में जहां देश डिजिटल युग में प्रवेश करगया है वहीं अपराधियों ने भी अपना पेटर्न बदलते हुए आधुनिक अपराधों की तरफ़ रूख़ करलिया है,जहां अपराधियों का कोई चेहरा नहीं है वो छुपा हुआ है जिसे ढूंढना मानो अंधेरे में तीर चलाने के जैसा है। लेकिन जहां अपराधियों ने आधुनिकता में क़दम रखा है वहीं देश की पुलिस ने भी अपनी रणनीति तैयार करते हुए अपने टॉप ऑफिसर्स को मैदान में उतारदिया है जो साइबर अपराधों पर अपनी पकड़ बनाए हुए हैं,और साइबर अपराधियों के द्वारा किए जा रहे ठगी के मामलों पर सख्त कार्यवाही कर रहे हैं।इन अपराधों को रोकने और नागरिकों को बचाने के उद्देश्य से नर्मदापुरम पुलिस कप्तान गुरकरन सिंह ने पुलिस विभाग द्वारा एडवाइजरी जारी की है।

साइबर अपराधियों द्वारा डिजिटल अरेस्ट।
पिछले कुछ समय से साइबर अपराधियों द्वारा डिजिटल अरेस्ट के नाम पर आम नागरिकों को ठगने के मामले सामने आ रहे हैं।इस संबंध में नर्मदापुरम पुलिस विभाग ने एक एडवाइजरी जारी की है,जिसमें इन ठगी के मामलों में फंसे लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

पुलिस कप्तान ने क्या कहा है।
पुलिस अधीक्षक डॉ गुरकरन सिंह ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी अजनबी से आए कॉल या व्हाट्सअप कॉल पर विश्वास न करें,खासकर अगर वह कॉल पाकिस्तान या अन्य विदेशी नंबरों से आ रही हो।

साइबर अपराधि कैसे बनाते है लोगों को अपना शिकार।
साइबर अपराधी आम तौर पर व्हाट्सअप कॉल या फोन कॉल के माध्यम से संपर्क करते हैं।कॉल करने वाले अपराधी खुद को एनसीबी,सीबीआई,ईडी, एनआईए या अन्य किसी जांच एजेंसी के अधिकारी के रूप में पेश करते हैं।वे आरोप लगाते हैं कि आरोपी के नाम पर नशीली दवाओं से संबंधित सामग्री का पार्सल भेजा गया है और इसकी जांच की जा रही है। इसके बाद,अपराधी डराने-धमकाने की रणनीति अपनाते हुए पीड़ित से पैसों की मांग करते हैं।कभी-कभी वीडियो कॉल पर फर्जी नोटिस दिखाकर ‘डिजिटल अरेस्ट’की धमकी दी जाती है और पीड़ित को घर में बंद रहने के लिए कहा जाता है।

पुलिस कप्तान ने दी सतर्क और जागरूक रहने की सलाह।
पुलिस अधीक्षक डॉ गुरकरन सिंह एवं नर्मदापुरम पुलिस ने नागरिकों को सचेत किया है कि वे अंजान नंबरों से आने वाली कॉल्स का जवाब न दें, विशेषकर जब नंबर पाकिस्तान (+92) या अन्य विदेशी नंबरों से हो। इसके अलावा, पुलिस ने यह स्पष्ट किया है कि भारतीय कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए किसी के भी कहने पर खुद को बंद करना या किसी से संपर्क न करने का दबाव न बनाएं।नागरिकों को अपनी व्यक्तिगत जानकारी जैसे बैंक खाते की जानकारी, आधार कार्ड आदि किसी से साझा न करने की भी सलाह दी गई है।

ठगी का शिकार होते हैं तो क्या करें।
पुलिस विभाग ने सायबर अपराधों से निपटने के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं।यदि किसी व्यक्ति को इस प्रकार का साइबर ठगी का सामना करना पड़ता है तो वह तुरंत अपने नजदीकी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराएं।इसके अलावा,नागरिक www.cybercrime.gov.in पर भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं,या सायबर क्राइम हेल्पलाइन(टोल फ्री नंबर 1930) पर संपर्क कर सकते हैं।नर्मदापुरम सायबर फ्रॉड हेल्पलाइन नंबर 7049126590 पर भी शिकायत की जा सकती है।पुलिस अधीक्षक डॉ गुरकरन सिंह एवं पुलिस विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे साइबर अपराधों के प्रति सतर्क रहें और इन प्रकार की ठगी के मामलों में किसी प्रकार की जानकारी साझा न करें।

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