ताज ख़ान
नर्मदापुरम//
भारतवर्ष की ज्ञान परंपरा सनातन और शाश्वत है,यह अन्य परंपराओं से भिन्न और विशिष्ट है,क्योंकि जहां विश्व की अन्य ज्ञान परंपराएं केवल अपने देश अथवा धर्म समूह के हित चिंतन तक सीमित रहती हैं,दूसरे देशों और धर्मों के लोगों को लूटकर अपने समूह को धनवान बनाते हैं वहाँ भारतीय ज्ञान परंपरा सारी मानवता और सारे विश्व के कल्याण की कामना करती है।भारतीय ज्ञान परंपरा में समूह नहीं सर्व के हित की चिंता है।यह विचार नर्मदा महाविद्यालय नर्मदापुरम के हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.कृष्णगोपाल मिश्र ने नागपुर विश्वविद्यालय में आयोजित भारतीय ज्ञान परंपरा और साहित्य दृष्टि विषय पर केंद्रित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में व्यक्त किये।सत्र की अध्यक्षता मनोज श्रीवास्तव पूर्व अपर मुख्य सचिव मप्र शासन ने की।इस अवसर पर नागपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ.मनोज पाण्डेय,वरिष्ठ साहित्यकार श्रीराम परिहार,डॉ.आनंद सिंह आदि विद्वानों की उपस्थिति में विशिष्ट अतिथि डॉ.मिश्र को सम्मानित किया गया।
