ब्यूरो रिपोर्ट
नर्मदापुरम//
पुलिस अधीक्षक डॉक्टर गुरुकरन सिंह द्वारा चलाए जा रहे हैं अभियानों में सबसे खास अभियान सूदखोरों से परेशान परिवारों को निजात दिलाना भी शामिल है। लेकिन इस समय नर्मदापरम शहर में न सिर्फ सूदखोरो का दबदबा चलरहा हैं बल्कि ये मफिया मनमाने तरीके से पैसा देकर तगड़ा ब्याज वसूलते हैं।समय आने पर पीड़ित के साथ वही पुराने लाला वाले अंदाज में वसूली की जाती है,कहीं ज़मीन हड़पना,कहीं समाज के सामने बेइज्जत करके वसूली करना,यहां तक की इनके आतंक से घर की महिलाएं भी सुरक्षित नहीं रह पातीं हैं,पूरा परिवार मर मर कर जीता है।इनका ब्याज तो जैसे दिन ब दिन बढ़ता रेहता है,ब्याज भी कस्टमर देखकर तय होता है,कई बार पीड़ित इन सूदखोर माफियाओं से परेशान होकर अपनी जीवन लीला भी समाप्त करना चाहता है, ऐसा ही मामला नर्मदापुरम की अफ़ज़ल कालोनी का सामने आया।
क्या है मामला।
नर्मदापुरम के अफ़ज़ल कॉलोनी निवासी शेख शोएब का मामला सामने आया है जिसने व्यापार के लिए नदीम शेख निवासी ईदगाह मोहोल्ला,मोहसिन अंसारी निवासी ईदगाह मोहल्ला,एवं स्वप्निल चौधरी से पैसे का लेनदेन किया था,इन तीनों ने शोएब को ब्याज पर पैसे दिए जिसके बदले में इन लोगों ने शोएब से ब्लैंक चेक भी लिए और इन लोगों ने शोएब की पत्नी के नाम के भी ब्लैंक चेक लिए,शोएब ने बताया कि उसने इन लोगों को पैसा टुकड़ों टुकड़ों में वापस भी कर दिया है, जिसका लेनदेन ऑनलाइन और नगद भुगतान द्वारा किया गया है,जिसके प्रमाण भी शोएब के पास मौजूद हैं।मूल राशि का भुगतान तो कर ही दिया गया है,लेकिन ब्याज भी हद से ज्यादा दे चुका है,इन लोगों ने ब्याज पर ब्याज यानी चक्रवर्ती ब्याज लगाना शुरू कर दिया था,जब मेरी आर्थिक स्थिति बिगड़ी तो पैसे देना मुश्किल होने लगे तब इन लोगों द्वारा मुझे प्रताड़ित किया जाने लगा,मेरी पत्नी को फोन करके उसपर भी दबाव बनाया गया,मुझे गंदी गंदी गाली देने लगे,मेरी पत्नी के बारे में अपशब्द,अश्लील शब्दों का इस्तेमाल स्वप्निल चौधरी ने किए,जिससे मेरी पत्नी इतनी परेशान हुई के उसने अपनी जीवन लीला समाप्त करने की भी कोशिश की जिसे परिवार द्वारा समय रहते बचा लिया गया।परेशान होकर मुझे पुलिस थाने जाकर इन लोगों के खिलाफ आवेदन देना पड़ा।सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इन सूदखोरों ने पुलिस को भी मैनेज करने की बात कही है।
क्या कहना है पुलिस का।
कोतवाली नर्मदापुरम के प्रधान आरक्षक गोपाल पाल ने बताया की आवेदन प्राप्त हुआ है,मामले की जांच की जा रही है,जिन सूदखोरों के नाम आवेदन में दिए गए हैं उन्हें थाने उपस्थित होकर बयान दर्ज कराने का मैसेज किया गया है,उन्हे वक्त दिया गया है की जल्द से जल्द थाने उपस्थित होकर बयान दर्ज कराएं।
क्या है पुलिस कप्तान का लक्ष्य।
जिला पुलिस अधीक्षक ने ज़िले की कमान संभालते ही सूदखोरों पर नकेल कसने की मुहीम छेड़ी थी,और बड़े बड़े मामलों में पीड़ितों को न्याय दिलाते हुए कई परिवारों को सूदखोरों के चुंगल से आज़ाद कर सुखी किया था।तब से इन प्रकरणों पर अपनी पैनी निगाह बनाए हुए हैं,और पुलिस अधीक्षक की यह मंशा भी है कि कोई भी पीड़ित सूदखोरों से पीड़ित ना हो,बल्कि अगर पैसा लिया है तो सही तरीके से वापस करें,और सूदखोर किसी को परेशान ना कर पाएं,जिसमें हमने देखा है कि जिले में ऐसी वारदातों पर काफी अंकुश लगाने का काम पुलिस कप्तान द्वारा किया गया है।अब देखने वाली बात यह है कि कहीं किसी बड़े अप्रोच के कारण इन सूदखोरों पर कार्रवाई होती है या यह महज़ प्रकरण बनकर रह जाते हैं।लेकिन पीड़ित परिवार इस समय दहशत के साए में जी रहा है परिवार को चिंता है कि इन सूदखोरों के द्वारा कोई वारदात को अंजाम न दे दिया जाए,जिससे हमारा परिवार ना बिखर जाए।