जन्म एवं शैक्षिक जीवन: पंडित माखनलाल चतुर्वेदी ने 4 अप्रैल 1889 को मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के बाबई गाँव में जन्म लिया। उनकी शिक्षा का आरंभ होते ही वह 16 वर्ष के थे और उन्होंने एक स्कूल टीचर बन गए।
Name | Makhanlal Chaturvedi[1] |
Date of Birth | 4 April, 1889 |
Place of Birth | Babai (Now Makhan Nagar ), Madhya Pradesh |
Father’s Name | Nandalal Chaturvedi |
Mother’s Name | Sundaribai |
Occupation | Author, Poet, Freedom Fighter |
Death | 30 January, 1938 |
Awards | 1. Sahitya Akademi Award (1955)
2. Padma Bhushan (1963) |
साहित्यिक करियर: पंडित जी ने राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और उनका योगदान चायावाद, हिंदी साहित्य के नए-रोमांटिक आंदोलन, में नहीं भूला जा सकता है।
उन्हें 1955 में ‘हिम तरंगिणी’ के लिए पहला साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। उन्हें 1963 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
साहित्यिक योगदान: पंडित माखनलाल चतुर्वेदी के कुछ प्रमुख काव्य संग्रह शीर्षक हैं – ‘हिम कीर्तिनी’, ‘हिम तरंगिणी’, ‘युग चारण’, और ‘साहित्य देवता’।
उनकी कविताएं जैसे ‘वेणु लो गू़ँजे धरा’, ‘दीप से दीप जले’, ‘कैसा छन्द बना देती है’, ‘अग्निपथ’, और ‘पुष्प की अभिलाषा’ आज भी प्रसिद्ध हैं।
माखनलाल चतुर्वेदी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा :
माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल, 1889 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम नंदलाल चतुर्वेदी और माता का नाम सुंदरीबाई था।
उनका विवाह गियर्सी बाई से हुआ था। चतुर्वेदीजी की प्रारंभिक शिक्षा बावई गाँव में हुई और प्राथमिक शिक्षा के बाद उन्होंने घर पर ही संस्कृत, बंगाली, गुजराती या अंग्रेजी आदि का ज्ञान प्राप्त किया।
माखनलालजी 16 साल की उम्र में स्कूल शिक्षक बन गए। उन्होंने 1906 से 1910 के बीच एक स्कूल में पढ़ाया। माखनलाल चतुर्वेदीजी को पंडितजी के नाम से भी जाना जाता है। कुछ दिन अध्यापन के बाद चतुर्वेदी जी राष्ट्रीय पत्रिका में संपादक का कार्य देखने लगे।
उन्होंने 1913 ई. में राष्ट्रीय मासिक पत्रिकाओं ‘प्रभा’ और ‘कर्मवीर’ का संपादन प्रारंभ किया। कानपुर के श्री गणेश शंकर विद्यार्थी से प्रेरित होकर उन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेना प्रारम्भ किया।
इस बीच उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा।
उपलब्धियां और उपाधियां:
पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की याद में, मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी (मध्य प्रदेश सांस्कृतिक परिषद) हर वर्ष ‘माखनलाल चतुर्वेदी समारोह’ का आयोजन करती है, जो 1987 से हो रहा है, साथ ही उन्हें हर वर्ष भारतीय कवि द्वारा कविता में उत्कृष्टता के लिए ‘माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार’ भी प्रदान किया जाता है।
सम्मान:
- पहला साहित्य अकादमी पुरस्कार (हिंदी) – ‘हिम तरंगिणी’ (1955)
- पद्म भूषण (1963)
उपनाम:
- युग चारण (ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय राष्ट्रवाद को मजबूत करने के लिए)
निधन :
माखनलाल चतुर्वेदी जी का निधन 30 जनवरी, 1968 को भोपाल, मध्य प्रदेश भारत में हुआ।
रचनाएँ :
उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ इस प्रकार हैं: हिम कीर्तिनी, युग चरण, साहित्य देवता, और उनकी सबसे प्रसिद्ध कविताएँ वेणु लो गूंजे धारा, दीप से दीप जले, कैसा छंद बना देती हैं, अग्निपथ और पुष्प की अभिलाषा आदि हैं।
माखनलाल चतुर्वेदी का साहित्यिक जीवन :
चतुर्वेदी जी ने अपनी कविताएँ भारतीय आत्मा के नाम पर लिखीं। उनकी काव्य रचनाएँ राष्ट्रीय भावनाओं पर आधारित हैं। जहां त्याग, कर्तव्य, समर्पण आदि की भावना है। उनकी कविता उन देशभक्तों को प्रभावित करती है जो आज भी अपने देश भारत से बहुत प्यार करते हैं और उनके कार्य देश के लोगों को जागरूक करने में बहुत मददगार साबित हुए। 1943 में उन्हें हिन्दी साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। चतुर्वेदी जी को भारत देश से अगाध प्रेम था। उनके जन्म के समय भारत पर अंग्रेजों का शासन था और उस समय स्वतंत्रता संग्राम हुआ था। चतुवेर्दीजी ने समझा कि देश की आजादी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। तब से वे देश की रक्षा के लिए आगे आए और लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया।
माखनलाल चतुवेर्दी की भाषा शैली :
श्री माखनलाल चतुर्वेदी ने अपने लेखन में एक नयी शैली का प्रयोग किया। चतुर्वेदी जी की इस शैली को छायावाद युग की नवरोमांटिकतावाद शैली कहा जाता है। उन्होंने अपनी कुछ रचनाएँ इसी शैली में लिखी हैं, उनकी ये रचनाएँ बहुत प्रसिद्ध हुईं क्योंकि उनकी कविता में एक नई शैली का प्रयोग किया गया था, जिसके कारण लोग इसे पसंद करने लगे। श्री माखनलाल चतुर्वेदीजी की ‘अमर राष्ट्र कविता’ को हिंदी साहित्य की अमर कविता भी माना जाता था क्योंकि यह कविता युगों-युगों तक प्रेरणा देती रही है।
परंपरा एवं सम्मान :
उनकी स्मृति में, मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी (मध्य प्रदेश सांस्कृतिक परिषद) 1987 से वार्षिक ‘माखनलाल चतुर्वेदी समारोह’ का आयोजन करती है, इसके अलावा किसी भारतीय कवि को कविता में उत्कृष्टता के लिए वार्षिक ‘माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार’ से सम्मानित किया जाता है।
मध्य प्रदेश के भोपाल में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय का नाम उनके सम्मान में रखा गया है।