बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे कई क्लिनिक,ज़िला स्वस्थ्य अधिकारी को नहीं है ख़बर,या डॉक्टरों पर साहब हैं मेहरबान।

ताज ख़ान
नर्मदापुरम//
नर्मदापुरम ज़िले की स्वास्थ्य सेवाओं की लचर अवस्था इसी से समझ पड़ती है की ज़िले में निजी अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन और नवीनीकरण के मामले में निजी अस्पताल संचालकों द्वारा लापारवाही बरती जा रही है। साथ ही सीएमएचओ कार्यालय के अधिकारियों के द्वारा ऐसे लापरवाह डॉक्टर एवं क्लिनिक संचालकों को संरक्षण प्रदान किया जा रहा है।अगर कोई घटना घट जाए तो इन्ही अधिकारीयों द्वारा लीपापोतीकर दी जाती है यायूंकहें इन हॉस्पिटल संचालकों को बचाया जाता है।बहुत से अस्पतालों का संचालन बिना रजिस्ट्रेशन के हो रहा है तो अनेकों ऐसे अस्पताल हैं जिनका एक बार रजिस्ट्रेशन कराने के बाद दूसरी बार नवीनीकरण करवाने की जरूरत ही नहीं समझी गई।सीएमएचओ कार्यालय के अधिकारियों से सांठगांठ एवं मिलीभगत के चलते ऐसे तमाम निजी अस्पतालों एवं क्लिनिक पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। बिना रजिस्ट्रेशन एवं सालों तक पंजीयन का नवीनीकरण नहीं कराने वाले अस्पताल एवं क्लिनिक संचालकों का रजिस्ट्रेशन समाप्त करने की कार्रवाई सीएमएचओ द्वारा नहीं करने पर उक्त कार्यवाही ज़िला कलेक्टर सोनिया मीना को संज्ञान में लेकर हस्तक्षेप करते हुए ज़िले भर के निजी अस्पतालों एवं क्लिनिक की पंजीकरण की जांच करानी चाहिए और ऐसी लापारवाही के विरुद्ध कड़े एक्शन लेने चाहिए।

इटारसी में बिना रजिस्ट्रेशन संचालित होता बच्चों का क्लिनिक –
मामला इटारसी के गुरुमाया क्लिनिक का सामने आया है।जो सरकारी अस्पताल में सेवारत शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विवेक चरण दुबे के द्वारा संचालित है।सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार डॉक्टर विवेक चरण दुबे द्वारा संचालित गुरुमाया क्लिनिक बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहा है!इस मामले में डॉक्टर विवेक दुबे का कहना है कि हमने एक बार रजिस्ट्रेशन कराया था जिसे नवीनीकरण करवाने में हमसे चूक हो गई है।उन्होंने बताया कि मार्च 2023 के बाद से क्लिनिक का रजिस्ट्रेशन नवीनीकरण नहीं हुआ है।हम जल्दी ही इसका आवेदन करके नवीनीकरण करवा लेंगे।डॉक्टर विवेक चरण दुबे शासकीय श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल में पदस्थ हैं और अस्पताल से 100 मीटर की दूरी के अंदर ही उन्होंने अपना निजी क्लिनिक खोल रखा है। सरकारी अस्पताल में अपने बच्चे का इलाज करवाने आई सीमा राउत ने बताया कि डॉक्टर सहाब ने अपने निजी क्लिनिक बुलाकर इलाज करवाने का बोला था दो दिन हमने उनसे इलाज करवाया आराम नहीं मिलने पर होशंगाबाद में डॉक्टर को दिखाया।

मरीजों की जान हाशिए पर रख बिना प्रशिक्षित स्टाफ के संचालित हो रहे हैं अस्पताल-

लापरवाही पूर्वक बिना प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ के अस्पताल एवं क्लिनिक का संचालन करने वाले डॉक्टरों के नर्सिंग होम एवं क्लिनिक की जांच कर उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए। मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे अस्पताल एवं क्लिनिक का पंजीयन समाप्त किया जाना चाहिए। कई बार देखने में आया  है कि निजी अस्पताल प्रबंधन द्वारा सस्ते दामों पर काम करने वाले अप्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ को काम पर रख लिया जाता है। जिसका ख़ामियाज़ा मरीज़ को भुगतान पड़ता है।

3 अप्रैल को नर्मदापुरम में हुई थी कार्रवाई-
पिछले दिनों सीएमएचओ कार्यालय द्वारा नर्मदापुरम के दो निजी अस्पतालों के पंजीयन नवीनीकरण नहीं करने की स्थिति में पंजीयन समाप्त कर दिया गया था।जिसमें नर्मदापुरम शहर के चर्चित डॉक्टर आनंद मोहन तिवारी के अमृत हॉर्ट एंड मेडिकल केयर सेंटर एवं डॉक्टर बसुधा तिवारी के सौरभ नर्सिंग होम को तत्काल बंद करने के आदेश सीएमएचओ द्वारा दिए गए थे।
सीएमएचओ द्वारा जारी आदेश के अनुसार दोनों अस्पताल के रजिस्ट्रेशन की वैद्यता समाप्त हो गई थी।दोनों ही अस्पताल के रजिस्ट्रेशन की वैधता 31 मार्च 2024 को समाप्त हो चुकी थी। इसके बाद भी नर्सिंग होम एक्ट के नियमों के विपरीत इन दोनों अस्पताल का संचालन किया जा रहा था। बड़ा सवाल यह है कि अब भी उक्त दोनों अस्पताल का पंजीयन दोबारा नहीं हो सका है। सीएमएचओ द्वारा तत्काल सारी सेवाएं बंद किए जाने के आदेश का पालन पहले भी नहीं किया गया जो अब तक बदस्तूर जारी है।

सीएमएचओ की भूमिका पर सवाल-
एक ओर जहां 3 दिन बीत जाने पर ही सीएमएचओ दिनेश देहलवार द्वारा कार्रवाई कर दी गई वहीं दूसरी ओर 1 साल से बिना रजिस्ट्रेशन नवीनीकरण करवाए नियमों को ताक पर रखकर क्लिनिक का संचालन करने वाले क्लिनिक को छूट देना सीएमएचओ डॉक्टर दिनेश देहलवार की भूमिका पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है।आखिर इस मेहरबानी का कारण क्या है ?

क्या केह्ता है नियम
आदेश में कहा गया है कि मध्यप्रदेश उपचर्या गृहरूजोपचार संबंधी स्थापनाएं अधिनियम 1973 एवं नियम 1997 के तहत अनुज्ञापन एवं पंजीकरण कराना अनिवार्य है।आदेश के अनुसार यह व्यवस्था 31 मार्च 2015 से लागू कर दी गई है।व्यवस्था के मुताबिक निजी नर्सिंग होम संचालकों को एमपी ऑनलाइन के जरिए विभाग के पोर्टल पर क्लीनिक,अस्पताल या नर्सिंगहोम का रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

अभी तक एक भी नर्सिंगहोम ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई नहीं किया।

30 सितंबर तक पूर्व से रजिस्टर्ड सभी नर्सिंग होम का मुफ्त रजिस्ट्रेशन किया जाएगा।नए रजिस्ट्रेशनों पर विभाग के नियमानुसार फीस अदा करनी होगी।सीएमएचओ विभाग से मिली जानकारी के अनुसार हालांकि अभी एक भी निजी नर्सिंग होम संचालक ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन नहीं किया है। समय सीमा खत्म होने के बाद रजिस्ट्रेशन नहीं कराने वाले संचालकों को नोटिस जारी किए जाएंगे।इसके बाद भी रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर अवैध घोषित कर कार्रवाई की जाएगी।

इनका केहना है
आजकल अस्पताल और क्लिनिक के रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन किए जाते हैं।मैं देख कर ही बता पाउंगा किस किस के रजिस्ट्रेशन हुए हैं किस के नहीं। जिन अस्पताल और क्लिनिक के रजिस्ट्रेशन नहीं हैं उन पर कार्रवाई की जाएगी।
दिनेश देहलवार,
सीएमएचओ नर्मदापुरम

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