प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी बड़े ही धूमधाम से निकलेगी कालों के काल महाकाल राजा देवाधिदेव महादेव की शाही सवारी।

ताज ख़ान
नर्मदापुरम //
शोभापुर : -श्रवण मास का पावन महीना समस्त शिव भक्तों के लिए सबसे बड़े त्यौहार के रूप में आता है।समस्त शिव भक्त इस पूरे पावन महीने में महादेव की भक्ति में भाव विभोर होकर महाकाल में खो जाते हैं।इसी के चलते ग्राम शोभापुर में जय श्री महाकाल फोर्स निरंतर 2 वर्षों से बाबा महाकाल की शाही सवारी निकालते आ रहे हैं।जो इस वर्ष भी बड़े ही धूमधाम से ग्राम में निकाली जाएगी।जिसकी तैयारियां जय श्री महाकाल फोर्स द्वारा निरंतर जारी हैं ।कालों के काल महाकाल उज्जैन के राजा देवाधिदेव महादेव की शाही सवारी ग्राम शोभापुर में 21 अगस्त दिन सोमवार समय दोपहर 11:00 बजे निकाली जाएगी।यह भव्य शाही सवारी ग्राम के मुख्य मुख्य स्थानों से होती हुई वापस उसी स्थान पर पहुंचेगी जहां से यह यात्रा प्रारंभ होगी।श्री रामलीला मैदान से यह यात्रा प्रारंभ होते हुए गंज मोहल्ले से होती हुई भटगांव रोड आएगी एवं वहां से बस स्टैंड से दीवान चौक की ओर जाएगी।जहां पर महाकाल की भव्य सवारी का भव्य स्वागत होगा एवं दीवान चौक से शाही सवारी  प्राचीन तालाब से होते हुए मंगलवारा बाजार पहुंचेगी जहां पर शोभापुर राज्य परिवार द्वारा महाकाल की पूजा अर्चना की जावेगी । तत्पश्चात मंगल भवन से होते हुए यह यात्रा सिंगाजी महाराज मैन रोड पहुंचेगी एवं यहां से यह यात्रा  रामलीला मंच की और प्रस्थान करेगी जहां से यह यात्रा प्रारंभ होती है।महाकाल की शाही सवारी में नगर से लगे हुए अनेकों गांव से हजारों की संख्या में बाबा महाकाल के भक्त शाही सवारी में शामिल होते हैं दर्शन करते हैं पूजन अर्चना करते हैं।महाकाल फोर्स के युवा साथियों ने बताया महाकाल की शाही सवारी ग्राम एवं क्षेत्रवासियों के सहयोग से यह यात्रा निकाली जाती है,बाबा महाकाल की कृपा बनी रहे तो यह यात्रा शोभापुर की एक ऐतिहासिक यात्रा बनेगी ।

*यात्रा में आकर्षण एवं शोभा का केंद्र ,*

बाबा महाकाल की यात्रा जिन जिन स्थानों से होते हुए जाती है वहां के लोग अपने घरों से फूलों की वर्षा कर शाही सवारी का स्वागत करते हैं ।
अनेकों जगह मुस्लिम समुदाय द्वारा यात्रा में शामिल शिव भक्तों के लिए शीतल जल एवं उपवास में पी सकें ऐसे शरबत की व्यवस्था की जाती है ।
बाबा की सवारी जिस दिन ग्राम में निकलती है,उस दिन ग्राम को शिव भक्तों द्वारा केसरिया रंगों से सजा दिया जाता है ,
बाबा महाकाल की मूर्ति जो उज्जैन से लाई जाती है एवं महाकाल की जो पालकी को उठाते हैं उन भक्तों की वेशभूषा भी एक आकर्षण का केंद्र बनती है।
इस यात्रा में हिंदू-मुस्लिम सभी का बढ़-चढ़कर योगदान होता है

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