ताज ख़ान
नर्मदापुरम//
इन दिनों शहर में हर तरफ वसूली भाई लोग दिखाई पड़ते हैं,यह वसूल भाई लोगों को डेली कलेक्शन के नाम पर 10 ₹20000 देकर उनसे रोज़ वसूली करते हैं सबका परसेंटेज अलग-अलग है,जो की 5 से 10 बल्कि कुछ का तो उससे भी ज्यादा है,जो पैसा देकर लोगों से वसूली करते हैं,कई लोग तो मूल चुकाने के बाद और ब्याज चुकाने के बाद ब्याज पर ब्याज वसूली करते हैं,और अगर कहीं पेमेंट लेट होती है तो यह वसूली भाइयों का रौद्र रूप देखने को मिलता है,कई बार जिसने पैसे लिए हैं उसके परिवार तक को बेइज्जत होना पड़ता है।ऐसा ही एक मामला मंगलवार को सामने आया जब सुरेश यादव नामक व्यक्ति ने ज़िला पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंच कर इच्छामृत्यु की पेशकश की और अपनी मजबूरी बताई,तो पूरा प्रकरण पता कर पुलिस कप्तान गुरकरन सिंह ने तत्काल सिटी कोतवाली थाना प्रभारी सौरभ पांडे को सूचित किया और थाना प्रभारी ने बिना देर किए दो घंटे के अंदर परेशान कर रहे वसूली भाइयों को अपनी कस्टडी में लेकर हिदायत देते हुए कार्यवाही की।सुरेश ने बताया कि वह ग्वालटोली के निवासी हैं और अपने घर के पास ही पान का टप चलाते हैं।सुरेश ने व्यापार के लिए कुछ लोगों से डेली डायरी कलेक्शन पर पैसा लिया था और लगातार पैसा चुका भी रहे थे लेकिन 3 महीने पहले गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने के कारण भोपाल में इलाज के लिए भर्ती होना पड़ा,तब से परिवार गंभीर आर्थिक संकट में आ गया जब इलाज के बाद घर वापस आए तो सोचा अपना टप खोलें तो यह वसूली भाई लोग रोज़ परेशान करने लगे,बल्कि सुरेश ने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी के तमाम सोना, चांदी के गहनों को गिरवी रखकर इन वसूली भाइयों को पैसा दिया,फिर जब और हालत खराब हो गई तो पैसा देने में असमर्थ होने लगे, दुकान भी ख़ाली होगई, बल्कि सुरेश ने सबको उनके मूल रुपए दे चुके हैं,ब्याज भी चुकाया है लेकिन यह वसूली भाइयों का ब्याज काम ही नहीं हो पा रहा था, जबकी सुरेश के पास डायरी में एंट्री है,तब उन्हे मजबूरन पुलिस के पास जाना पड़ा।सुरेश ने खुश होते हुए बताया कि वो पुलिस अधीक्षक के एहसानमंद हैं की साहब ने मेरी मजबूरी को समझते हुए तत्काल थाना प्रभारी के ज़रिये मुझे बड़ी विपदा से बचाया,और यह आश्वासन दिया कि कोई भी तुम्हें परेशान करे तो हमें तत्काल सूचना दें,अब कोई परेशान नहीं करेगा।पहली बार पुलिस का यह रूप सामने देख हम पुलिस प्रशासन और खास तौर पर पुलिस अधीक्षक सर के एहसानमंद है।वरना मेरे और मेरे परिवार के सामने खुदकुशी के अलावा कोई रास्ता नहीं था।
