ताज ख़ान
इटारसी//नर्मदापुरम
दि बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ़ इटारसी एवं रमाबाई महिला मंडल के संयुक्त तत्वाधान में गुरूवार को वर्षावास कार्यक्रम का हुआ संपन्न।
क्या है वर्षावास।
बौद्ध धर्म में वर्षावास का विशेष महत्व है,वर्षावास का मकसद है कि बौद्ध भिक्षु तीन महीने तक विचरण न करें और एक जगह पर रहकर भगवान बुद्ध की पूजा-अर्चना करें और ध्यान लगाएं,वर्षावास के दौरान बौद्ध भिक्षु बौद्ध धर्म की बारीकियों का अध्ययन भी करते हैं।
कब कहलाता है वर्षावास।
वर्षावास काल आषाढ़ पूर्णिमा के अगले दिन से शुरू हो जाता है,और आश्विन पूर्णिमा तक चलता है।वर्षावास के दौरान बौद्ध भिक्षु गांवों में भिक्षाटन के लिए नहीं जाते वर्षावास के बाद कठिन चीवरदान की परंपरा शुरू होती है, वर्षावास के दौरान बौद्ध भिक्षु ध्यान-साधना के साथ-साथ धर्म का अध्ययन भी करते हैं।वर्षावास के दौरान बौद्ध भिक्षु उपासकों को धम्म देशना देते हैं,इस दौरान बौद्ध भिक्षु विश्व के समस्त जीवों के कल्याण की कामना करते हैं,
किसने की वर्षावास की शुरुवात।
रमाबाई महिला मंडल की अध्यक्ष रीना डोईफोड़े ने बताया कि वर्षावास की शुरुआत भगवान बुद्ध ने की थी,भगवान बुद्ध ने उपदेश दिया था कि वर्षाकाल में गांवों में भिक्षाटन के लिए नहीं जाना चाहिए,ऐसा इसलिए क्योंकि भिक्षुओं के समूह में चलने से कृषि को नुकसान न हो व बरसात में बड़ी संख्या में छोटे-छोटे जीव-जंतु उत्पन्न होते हैं।ऐसे में भ्रमण के दौरान उनकी हत्या हो सकती है,इसी वजह से तीन महीने तक बौद्ध भिक्षु वर्षावास मनाते हैं और इस तीन महीने में बौद्ध धर्म की बारीकियों का अध्ययन करते हैं।
प्रज्ञा बौद्ध विहार इटारसी में मनाया जाता है वर्षावास।
दि बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ़ इटारसी के अध्यक्ष रामदास निकम ने बताया कि 1973 से प्रज्ञा बौद्ध विहार में प्रतिवर्ष वर्षावास कार्यक्रम का आयोजन होता आ रहा है,समय-समय पर बौद्ध भिक्षु अपना मार्गदर्शन देते रहे हैं,अब रमाबाई महिला मंडल आषाढ़ पूर्णिमा से आश्विन पूर्णिमा तक प्रतिदिन बुद्ध धम्म ग्रंथ का वाचन करती है,गुरूवार को सुबह से बुद्ध पूजा,धम्म पूजा,संग पूजा,परित्राण पाठ,किया गया एवं प्रसाद वितरण कर वर्षावास कार्यक्रम का समापन किया गया।
कौन कौन रहा मौजूद।
कार्यक्रम में विशेष रूप से संभाजी पाईकराव,आतिश बोरकर,प्रकाश इंगले,स्वप्निल तायडे,मीनाक्षी नागदेवे,पिंकी बोरकर,संगीता रामटेके, रोहिणी शेजवाल,एवं बहु संख्या में बौद्ध उपासक एवं उपासिकाऐं उपस्थित थी।