दल बदलू नेताओं से पार्टियों को फायदा या नुकसान,क्या केहता है गिरे हुए वोट प्रतिशत का मिज़ाज।

 

ताज ख़ान
नर्मदापुरम//
रूठने मनाने की आपाधापी और सत्ता पाने की ख्वाहिश के बीच आखिरकार लोकसभा क्रमांक_ 17,नरसिंहपुर,होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र में चुनाव संपन्न हुए। बिना बोले मतदाताओं ने अपने गुस्से और चाहतों को ईवीएम में कैद कर दिया,अधिकारियों ने भी अपने कर्मचारियों का आभार व्यक्त कर दिया,नेताओं ने कार्यकर्ताओं का शुक्रिया अदा कर दिया।हालांकि असली बात अभी बाक़ी है वह यह है कि जहां भाजपा की आंधी में कांग्रेस पार्टी के कई दिग्गज पार्टी से उखड़ कर भाजपा की गोद में बैठ गए अब उन चेहरों के रिजल्ट की बारी है, जिसमें सबसे बड़ा चेहरा पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान में भाजपा स्टार प्रचारक सुरेश पचौरी का है,जिनके बहाने से वर्षों से अपने दिल में भाजपा की मोहब्बतों को छुपाए कई नेता भाजपा में शामिल हो गए।
क्या उन नेताओं ने कोई चमत्कार कर पाए हैं आइए समझने की कोशिश करते हैं।एक तरफ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मानना है कि वोट प्रतिशत कम होना हमारे लिए अच्छा साबित होगा,वहीं मतदान केन्द्रों पर लगे दोनों पार्टियों के स्टालों पर देखें तो भाजपा के काउंटर पर कुछ हलचल तो कांग्रेस के स्टॉल पर खामोशी नजर आई,जब मतदान केन्द्रों का मुआयना किया तो वहां पाया कि भाजपा के वोटर तो दिख गए जबकि कांग्रेस का ट्रेडिशनल वोटर वोट डालने मतदान केन्द्रों तक नहीं पहुंचा। कांग्रेस के कई वोटरों ने कहा की क्या फायदा,होगा तो वही जो ऊपर वाले चाहेंगे यानी कुछ भी करलें सरकार तो मोदी टीम ही बनाएगी।इसका सीधा मतलब यह है कि कांग्रेस ख़ुद अपने वोटरों को अपना गारंटी कार्ड नहीं समझा पाई जिसके मायने यह निकलते हैं कि भाजपा के वोटरों ने तो अपना कर्तव्य निभाया लेकिन कांग्रेस इस मामले में फिसड्डी रह गई,तो यह जो वोट प्रतिशत घटा है वह सिर्फ बीजेपी का नहीं बल्कि कांग्रेस के वोट बैंक को भी झटका है।
अब बात करें दलबदलुओं की तो इनहोने कहीं ना कहीं भाजपा के पुश्तैनी कार्यकर्ताओं को नाराज़ किया है,जिसका ख़ामयाज़ा भाजपा को भी भुगतना पड़ेगा एक वरिष्ठ पत्रकार और भाजपा के करीबी ने बताया कि हां पार्टी के सामने यह कांग्रेस से आए नेता बड़ा चैलेंज खड़ा कर सकते हैं, हर कोई किसी न किसी प्रलोभन में पार्टी में शामिल हुआ है,सबकी कुछ ना कुछ महत्वाकांक्षाएं हैं जिनको पूरा करना संभव नहीं रहेगा क्योंकि भाजपा के पास अपनी कार्यकर्ताओं की पूरी के पूरी फौज है,सबसे पहले उनको संतुष्ट करने की कोशिश रहेगी इसलिए आने वाले समय में संगठन को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। बकौल ख़ुद कई कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं की मांने तो देखा गया कि वह स्वयं फोन करके भाजपा पदाधिकारीयों से शिकायत करते पाए गए कि हमें कोई सूचना नहीं मिलती है,कि कहां जनसंपर्क चल रहा है हमें कोई बताता नहीं है कृपया हमें भी सूचना दी जाए। कईयों को कार्यालय के बाहर अनजानों की तरहा खड़े हुए पाया गया और तो और अपने संबंधियों और करीबियों के अलावा यह कांग्रेस के वोटरों को भी कन्वर्ट नहीं करवा पाए।इस पूरे विषय को अगर गंभीरता से देखा जाए तो कम वोट प्रतिषत से नुकसान में कांग्रेस है भाजपा की चाल बरकरार दिखाई पड़ती है।

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