जैपनीज़ इन्सेफेलाइटिस( J.E) टीकाकरण पर, जिला मीडिया कार्यशाला हुई संपन्न।

ताज ख़ान
नर्मदापुरम //
शुक्रवार को ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी के नेतृत्व में नेशनल वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (NVBDCP) अंतर्गत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत शासन नई दिल्ली से एस सर्विलांस डाटा के आधार पर जे. ई (JAPANESE ENCEPHALITIS) टीकाकरण अभियान हेतु प्रदेश के चार जिलों का चयन किया गया है। द्वितीय फेस में चार जिलों में इंदौर, भोपाल, सागर,नर्मदापुरम,में जे. ई.टीकाकरण अभियान 27 फरवरी 2024 से प्रारंभ होगा
अभियान के अंतर्गत 1 से 15 वर्ष तक के बच्चों का सूचीकरण कर समस्त आंगनवाड़ी,मिनी आंगनवाड़ी, केन्द्रो पर आयोजन किया जाएगा।उसके बाद समस्त शासकीय,प्राइवेट विद्यालयों मे सत्रों का आयोजन किया जाएगा और प्रोटोकॉल अनुसार जे.ई वैक्सीन से टीकाकरण किया जाएगा।जैपनीज़ इन्सेफेलाइटिस दिमागी बुखार है जो 1 वर्ष से 15 वर्ष की आयु के बालक बालिकाओं को प्रभावित करता है,बुखार से बचाव के लिए जिले को वर्तमान में जे.ई वेक्सीन 1लाख 50 हज़ार डोज़ एवं 0.5 एम.एल.की सीरीज उपलब्ध की गईं है।वैक्सीन जैनबेक(JENVAC )भारत बायोटेक कंपनी तेलंगाना के द्वारा  बनाई गई है।

क्या है जैपनीज़ इन्सेफेलाइटिस( J.E),
1-यह एक दिमागी बुखार है एक गंभीर मानसिक विकलांगता पैदा करने वाली बीमारी है, जो जेपनीज़ इन्सेफेलाइटिस विषाणु द्वारा होती है।

जैपनीज़ इन्सेफेलाइटिस( J.E),कैसे होता है,
-जैपनीज़ इन्सेफेलाइटिस( J.E) के विषाणु मच्छरों द्वारा फैलाया जाता है यह मच्छर अक्सर धान के खेतों तथा गंदगी, तालाबों,में रहते हैं। संक्रमण के बाद विषाणु मस्तिष्क एवं रीड की हड्डी सहित केंद्रीय नाड़ी तंत्र में प्रवेश कर जाता है।

जैपनीज़ इन्सेफेलाइटिस( J.E) के क्या लक्षण है,
-बुखार आना, ठंड लगना,थकान महसूस होना, सिर दर्द,उल्टी, आना तथा घबराहट,हो सकती है आगे चलकर यह बीमारी 30% से अधिक फाॅलाइटिस एक खतरनाक संक्रामक मस्तिष्क में पैदा करने वाला रोग का रूप धारण कर सकता है। इस अवस्था में रोगी पैरालिसिस,कौमा,या बोल ना पाने जैसे रोगों से ग्रस्त हो सकते हैं।

बीमारी होने का खतरा किसको है,
-ग्रामीण तथा खेती होने वाले क्षेत्रों में जहां विषाणु आम होते हैं ऐसे क्षेत्रों में रहने वालों में संक्रमण होने का विशेष खतरा रहता है, अधिकतर क्षेत्रों में बड़े लोगों की अपेक्षा 1 से 15 वर्ष के बच्चों में इस बीमारी का अधिक खतरा होता है फिर भी व्यस्क लोगों में भी यह संक्रमण हो सकता है विशेष कर जब  विषाणु नए क्षेत्र में प्रवेश करता है।

बीमारी का इलाज क्या है,
-जे. ई बीमारी का इलाज नहीं है इस वायरस के विरुद्ध एंटीबायोटिक दवाएं कारगर नहीं है,और ना ही एंटीवायरस दवाएं खोजी जा सकी हैं,फिर भी रोगी की उचित देखभाल द्वारा मौत और विकलांगता के खतरे को कम किया जा सकता है,

जैपनीज़ इन्सेफेलाइटिस(J. E )को कैसे रोका जा सकता है,

-टीकाकरण ही दिमागी बुखार को रोकने का सबसे अच्छा रास्ता है मच्छरों के काटने से बचने के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा भी जरूरी है,

क्या जे. ई का टीका सुरक्षित है,
-टिक सुरक्षित है तथा अधिकतर लोगों में टीका लगाने के बाद कोई साइड इफेक्ट महसूस नहीं होते हैं,

टिका किसको लगाना चाहिए,
– सभी बच्चे जो 1 से 15 साल के बीच में है टीकाकरण अभियान के दौरान जे. ई वैक्सीन लेनी चाहिए,

किन परिस्थितियों में टिका नहीं लगना चाहिए,
-किसी को पहले जे. ई का टीका लगाने पर इसकी गंभीर प्रतिक्रिया हुई हो,

-कोई व्यक्ति जो एड्स के लक्षणों या रोग प्रतिरोधक क्षमता कम करने वाली बीमारियों से ग्रसित हो,
– महिला अगर गर्भवती हो
– अगर बुखार 38.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो तो ऐसी स्थिति में टीका स्थगित कर देना चाहिए तथा जैसे ही बुखार उतर जाए टीका लगाया जा सकता है,

वैक्सीन के दुष्प्रभाव,
-जे.ई वैक्सीन के कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं है बच्चों में अकड़न इंजेक्शन की जगह पर सूजन आ सकती है,

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