कलेक्टर के फरमान का नहीं हुआ कोई असर, अगजनी के बावजूद लापरवाह प्रशासन, एसडीएम नर्मदापुरम को बताने के बावजूद भूसा मशीन पर नहीं हुई कार्यवाही धड़ले से हो रहा है नियमों का उल्लंघन।

ताज ख़ान
नर्मदापुरम//
क्षेत्र में इन दिनों गेहूं की फसल कटने को तैयार है साथ ही ज़िले में अगजनी की घटनाएं भी दिन-ब-दिन बढ़ने लगी हैं। विगत 23 मार्च शुक्रवार को इटारसी के नज़दीक ग्राम जमानी में खड़ी फसल देखते ही देखते स्वाहा हो गई साथ में कई एकड़ रकबे को भी नुकसान हुआ है,आग लगने के कारणों का पता नहीं लग पाया है।जहां किसानों पर यह विकराल स्थिति बनी हुई है वहीं ज़िला प्रशासन के अधिकारी सिर्फ स्विप प्लान को दिखाने में लगे हैं। ज़िला प्रशासन की कप्तान कलेक्टर नर्मदापुरम से लेकर कोई भी जवाबदार अधिकारी ना ही फोन उठाते हैं बल्कि सूचना मिलने पर कार्यवाही तक नहीं कर पाते हैं। ऐसा ही मामला शनिवार को सामने आया जब एक पत्रकार द्वारा एसडीएम नर्मदापुरम नीता कोरी को फोन पर सूचना दी गई की डोलरिया तहसील के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में भूसा मशीन दिन दहाड़े चलाई जा रही है जबकि भूसा मशीन प्रातः 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक प्रतिबंधित है,खुद कलेक्टर ने यह आदेश दिया हुआ है।शनिवार को सुबह लगभग 11:00 बजे का समय था जब एसडीएम को बताया गया की डोलरिया के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में भूसा मशीन चल रही है जिस पर एसडीएम द्वारा बोला गया हम तहसीलदार से बोलकर कार्यवाही करवाते हैं, जिस पर 2 घंटे बीत जाने के बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया,बाद में उस क्षेत्र के पटवारी को संपर्क करने की कोशिश की तब उनका फोन भी नहीं लग पाया,पत्रकार द्वारा जब कलेक्टर नर्मदापुरम से संपर्क करने की कोशिश की तब कलेक्टर ने भी फोन नहीं उठाया, जबकी निर्वाचन गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए सारे अधिकारीयों के दूरभाष नंबर दिए जा रहे हैं तब भी लोगों के फ़ोन रिसीव ही नहीं होते या कहेंअपने संपर्क के लोगों के अलावा दूसरे नंबर नहीं उठाए जाते।इतने गंभीर विषय पर ज़िला प्रशासन की ये सुस्ती से पता चलता है कि प्रशासन कितना गंभीर है किसानों और आम नागरिकों की तकलीफों के प्रति, जबकि भूसा मशीन से जो चिंगारी उठती है उससे कई एकड़ की फसल खाक हो सकती है।यह तब है जब पूरी सरकार सुशासन की पीपड़ी बजा रही है। वहीं ज़िला संभाल रहे अधिकारियों में सिर्फ जनसंपर्क से खबरें भेजने की होड़ लगी रहती है,जबकि वास्तविकता यह है कि नागरिक परेशान होते हैं जब कोई घटना घट जाती है तब ख़ाना पूर्ति की जाती है। इससे यह भी पता चलता है कि ज़िले और तहसील में तैनात अधिकारियों की नज़र में अपने ही ज़िला कप्तान के फरमान की क्या हैसियत दिखाई पड़ती है। साथ ही बड़ा प्रश्न क्षेत्र की पुलिस पर भी सवाल खड़ा करता है कि क्या पुलिस इन सब बातों से अनभिज्ञ है या मिलजुल के काम चल रहा है ।सूत्रों की माने तो सब सेटलमेंट के जरिए काम चल रहा है इसीलिए किसी भी चीज पर कोई अंकुश नहीं है।

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