एमपी स्टेट सिविल सप्लाई के अफसरों और ठेकेदारों की मिली भगत से लाखों करोड़ों का हो रहा है घपला।

ताज ख़ान
नर्मदापुरम //
कम दूरी पर न लगवा कर अधिक दूरी पर खाद्यान्न रेक की करवाई जा रही लोडिंग,

सर्टिफिकेट की फोटो कॉपी कराकर करते हैं हेराफेरी,

नर्मदापुरम मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन के अधिकारियों एवं ठेकेदारों द्वारा वेयरहाउस से चलने वाले रैक बिंदु की दूरियों को लेकर घोटाला सामने आया है। इस मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में एक कंप्लेंट भी की है। कंप्लेंट में प्रमुख सचिव खाद्यान्न नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग को लिखा गया है, जिसमें संबंधित ठेकेदार के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की गई है।यह घपला माल ले जाने वाले रैक की दूरी को लेकर किया जा रहा है।वेयरहाउस से कम दूरी से रैक न भिजवाकर अधिक दूरी से भिजवाई जाती हैं जिससे ज्यादा बिलिंग हो और ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके। एक-एक रैक पर आठ-आठ लाख रुपए ज्यादा देने पड़ते हैं। अधिकारी और ठेकेदार की मिलीभगत से कम दूरी में खाद्यान्न का परिवहन करके ज्यादा दूरी में परिवहन का कार्य दिखा कर निगम से भुगतान लिया जा रहा है।इसके साथ ही पीडब्ल्यूडी के फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर ज्यादा दूरी दिखा कर परिवहन का भुगतान लिया जाता है।कम दूरी वाले स्टेशन बागरा तवा से रेक लोड न करवाकर अधिक दूरी वाले स्टेशन इटारसी एवं पिपरिया से रेक पाइंट से विभाग से प्राप्त अधिक दरों में परिवहन का कार्य करवाया जा रहा है,जिससे निगम को करोड़ों रुपए का चूना लगाया जा चुका है।एमपी एससीएससी के अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से कम दूरी में खाद्यान्न का परिवहन का कार्य न करवाकर अधिक दूरी वाले रेक पाइंट में परिवहनकर्ता के साथ मिल कर शासन के अधिकारियों द्वारा परिवहन का कार्य करवाकर निगम से ज्यादा दूरी का भुगतान लिया जा रहा है।

करोड़ों रुपए की हो रही है हेराफेरी
मध्य प्रदेश सिविल सप्लाई कारपोरेशन के अधिकारियों एवं ठेकेदार द्वारा अधिक में खाद्यान्न की रेक लोड करवाई जाती है। बागरा तवा की दूरी बाड़ी से 50 किलोमीटर के स्थान पर इटारसी की दूरी 70 किलोमीटर में परिवहन करवा रहे हैं जबकि बागरा तवा रेक पाइंट की स्वीकृत दरें 55 प्रतिशत है लेकिन इटारसी रेक पाइंट की दर 107 प्रतिशत ज्यादा है।इस तरह परिवहनकर्ता द्वारा बागरा तवा पुल बंद होने से सांगा होते हुए उनके द्वारा शाहगंज इटारसी की दूरी 100 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी के बिल बनाए गए एवं उनका भुगतान कॉरपोरेशन से लिया गया। इस प्रकार करोड़ों का नुकसान किया जा रहा है।इसमें वेयरहाउस शामिल नहीं है।केवल ठेकेदार, डिस्ट्रिक्ट मैनेजर और अफसरों की मिली भगत से यह सारा काम होता है।

नागरिक आपूर्ति और एफसीआई की दूरी में अंतर क्यों?
जिले से चावल और गेहूं अन्य जिलों में जाता है।रैक भराई में 15 से 20 किलोमीटर की दूरी बढ़ाकर ज्यादा पेमेंट हो रहा है। नागरिक आपूर्ति ज्यादा दूरी बढ़ा रहा है जबकि एफसीआई कम दूरी पर पैमेंट देता है।जब माल एक ही जगह से जाता है तो फिर नागरिक आपूर्ति ज्यादा दूरी क्यों दर्शा रहा है,एफसीआई कम दूरी दर्शाता है,फिर दूरी में अंतर क्यों । माल इटारसी रेल हेड पर लोड होता है।दूरियां ज्यादा दर्शाते हैं और कम का बिल बताते हैं । ट्रांसपोर्टरों का खेल है इसमें करोड़ का भ्रष्टाचार हो रहा है।

शिकायत कर्ता संजय कुमार पटेल ने कहा
जिले में रैक पाईंट में अधिक दूरी अधिक व्यय के अनुसार लोड कराई जाती है और जिले में अफसरों की मिली भगत से भारी भ्रष्टाचार किया गया है,इस मामले को लेकर लोकायुक्त सहित प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत की गई है।

इनका कहना
मामला आपके द्वारा संज्ञान में आया है  मैंने अभी एक माह पहले ही कार्यालय में ज्वाईन किया है,
मेघराज यादव
जिला प्रबंधक – नागरिक आपूर्ति अधिकारी नर्मदापुरम

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