अपराध करने के लिये बालक को भाडे पर लेना अब है अपराध,नवीन विधि संहिता 2023,जानना आवश्यक।

ताज ख़ान
नर्मदापुरम//
वर्तमान नवीन भारतीय न्याय संहिता 2023 में धारा 95 एक नवीन धारा के रूप में परिभाषित की गई है,जिसमें अपराधों को कारित करने के लिये बालक को भाडे पर लेना नियोजित करना और नियुक्त करना अपराध की श्रेणी में माना गया है।

बालकों का दुर्व्यापार व अन्य अपराधों को वर्णित किया गया है।
164 साल से चली आ रही भारतीय दंड संहिता 1860 में बालकों से किये जाने वाले दुर्व्यव्हार,बालको का अपहरण,बालकों का दुर्व्यापार व अन्य अपराधों को वर्णित किया गया है। किन्तु प्रायः यह देखने में आ रहा था कि गुण्डे,बदमाश व अन्य अभ्यासिक अपराधीगण बालकों के विरूद्ध सीमित व लघु दण्ड की व्यवस्था होने से उन्हें मुख्य अपराध में शामिल कर उनसे अपराध कारित कराकर स्वंय भूमिगत हो जाते थे और सामने आते थे वो छोटे बच्चे जिन पर प्रशासन भी उन्हें पकडकर विचारण के लिये सुर्युद कर देते हैं और वे अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं और वास्तव में मुख्य अपराध का सरगना फिर बच जाता है।

भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 95 में एक नवीन धारा स्थापित की गई।
हमारे संविधान व विधि विशेषज्ञों इस बात को गहराई से समझा और मुख्य सरगना बच न पाये इसी बात को ध्यान में रखकर नवीन भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 95 में एक नवीन धारा स्थापित की गई जिसके अनुसार जो कोई किसी अपराध को कारित करने के लिये किसी बालक को भाडे पर लेगा, नियोजित करेगा, या नियुक्त करेगा तो वह ऐसे कारावास से जो 3 वर्ष से कम नहीं होगा जो 10 वर्ष तक हो सकेगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

बालक को भाडे पर लिया या उस अपराध के लिये नियोजित किया हो।
उक्त दण्ड की व्यवस्था तब कारित की गई है जब मुख्य अपराधी द्वारा केवल बालक को भाडे पर लिया या उस अपराध के लिये नियोजित किया हो या उस अपराध के लिये नियुक्त किया हो किन्तु या मुख्य अपराधी के उदेश्य अनुरूप बालक द्वारा वह अपराध जिसके लिये उसे नियुक्त किया गया था कारित कर दिया जाता है तो वह उस अपराध के लिये उपबंधित दण्ड से भी दण्डित किया जायेगा, मानो ऐसा अपराध उस व्यक्ति ने (मुख्य अपराधी) स्वंय किया हो।

बालकों का उपयोग करते थे उनका बचना मुश्किल।
इस प्रकार अब गुण्डे, बदमाश,गैंगवार,बलात्कारी व अन्य अपराधों के सरगना जो अपराध कारित करने में बालकों का उपयोग करते थे अब उनका बचना इस नवीन संहिता के प्रावधान के बाद मुश्किल होगा।

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