ताज ख़ान
नर्मदापुरम//
इस समय पूरे मध्यप्रदेश सहित नर्मदापुरम जिले में किसानों का आक्रोश देखने को मिल रहा है,देखा जा रहा है कि किसान अपने अधिकारों के लिए,और सरकार की नीतियों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।अपनी बातों को सरकारों तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।वहीं सरकारी महकमें भी किसानों को बेहतर सुविधाओं का हवाला दे रहे हैं,लेकिन स्थितियों पर पकड़ नहीं बना पा रहे हैं। इस कश्मकश में विपक्ष ने भी अपना रुख़ साफ कर दिया है,शुक्रवार को जिला कांग्रेस कमेटी के कैप्टिन शिवाकांत(गुड्डन)पांडे के नेतृत्व में क्षेत्र में बड़े किसान के रूप में पहचान रखने वाले पूर्व विधायक पंडित गिरजा शंकर शर्मा के निवास पर इस ज्वलंतशील मुद्दे को लेकर विपक्ष पत्रकारों से रूबरू हुआ,जहां किसानों के बेहद संवेदनशील विषय पर पूर्व विधायक ने सत्ता पक्ष और सरकारीतंत्र पर एक के बाद एक कई हमले बोले।पूर्व विधायक गिरजा शंकर शर्मा ने अपने बेहद संजीदा अंदाज में सबसे पहले किसानों के सामने उत्पन्न सबसे विकराल समस्या खाद,डीएपी,यूरिया की समस्या को सामने रखते हुए बताया कि सरकार इस समय किसानों पर कैसे अधिक बोझ डाल रही है।श्री शर्मा ने बताया कि सरकार ने विकल्प के तौर पर नैनो यूरिया और एन.पी.के(Npk), के इस्तेमाल की बात कही है,जबकि इससे किसानों पर और अधिक खर्च का बोझ पड़ेगा।
कैसे पड़ रहा किसानो पर बोझ।
श्री शर्मा ने बताया जैसे एक एकड़ में एक बोरी डीएपी किसान डालता है तो उसका जो कांस्टीट्यूएंसी है वह 14/46 है,जिसमे N_14,P_46 और P की ज्यादा जरूरत पड़ती है बोनी के समय,और जैसे-जैसे प्लांट बड़ा होता है तब NK यानी यूरिया की जरूरत पड़ती है,डीएपी में 14/46 के यही एलिमेंट NPK में या तो 20/20 है या 16/16 है,दो अलग-अलग कांस्टीट्यूएंसी के आ रहे हैं। अब 46 का 20 आधा भी नहीं होता है 16 वाला तो लगभग एक तिहाई होता है,और 1450 की एक बोरी डीएपी की होती है,एक बोरी डीएपी में जितनी बोरी खाद की जरूरत पड़ती है P की वह दो बोरी NPK में भी पूरा नहीं हो पा रहा है,या तीन बोरी NPK पूरा होता है,
कीमतों में समझें क्या है फर्क।
दो बोरी NPK की कीमत होती है 2500 ₹,और तीन की होती है 3750 ₹,यानी आप एक एकड़ में किसान को 1450 ₹,की जगह 2500 ₹,या 3750 जैसा भी NPK मिले,यह बोझ डाल रहे हो,यानी किसान की कमर तो पहले ही तोड़ दी है।150 रुपए भाव बढ़ाया है गेहूं के इस वर्ष और जितनी पैदावार होगी उससे ज्यादा तो खाद में ले रहे हैं।जो अन्नदाताओं के साथ अन्याय है, जिसका हम विरोध करते हैं।श्री शर्मा ने कहा बिना डीएपी के गेहूं की बोनी नहीं होती है,जिसकी बिल्कुल व्यवस्था नहीं है। दुर्भाग्य यह भी है की व्यवस्था भी नहीं की और साफ बात भी ना सरकार कर रही है ना राज्य स्तर पर कोई बात सामने आई है की मिलेगा या नहीं,मिलेगा तो कैसे और कितना।
राजनैतिक तंत्र है ख़ामोश।
श्री शर्मा ने कहा इस समय जिले में राजनीतिक तंत्र बिल्कुल चुप है,जिले में चार विधायक दो सांसद 6 जन प्रतिनिधि हैं,और प्रदेश स्तर के तो बहुत से नेता हैं भाजपा के,लेकिन किसी को चिंता नहीं है कि डीएपी आना चाहिए या नहीं,बोनी का समय चालू हो गया है,अभी जिस किसी डीलर पर डीएपी उपलब्ध है उसने चार 400/₹,के ब्लैक में बेचना शुरू कर दिया है।क्या भाजपा के लोगों को या जन प्रतिनिधियों को इसकी जानकारी नहीं है।प्रशासन किस लिए बैठा है,कौन इसकी चिंता करेगा,इसकी चिंता हमारे जिला अध्यक्ष शिवाकांत पांडे ने की है,हम पार्टी तंत्र को भी अगले एक हफ्ते में एक्टिव करेंगे ताकि हर जगह किसानो की समस्याओ पर उनके साथ कांधे से कांधा मिलाकर हमारी पार्टी के साथी मौजूद रहेंगे।श्री शर्मा ने कहा की दस्तक यूरिया संकट की भी है,यह कहा जा रहा है कि यूरिया की भी शॉर्टेज आएगी यह बहुत चिंताजनक स्थिति है,इससे गेहूं का रहा सहा प्रोडक्शन जो है वह भी नीचे चला जाएगा तो किसान क्या करेगा।
जिला प्रशासन पर साधा निशान।
पूर्व विधायक ने कहा कि कुछ दिन पूर्व जिला प्रशासन ने बैठक रखी जिसमें किसानों के साथ जनप्रतिनिधियों की भी मौजूदगी रही,उन्होंने कांग्रेस पार्टी के किसी प्रतिनिधि को बुलाना उचित नहीं समझा ना किसान कांग्रेस और ना ही जिला अध्यक्ष को बैठक में बुलाया गया औपचारिक बैठक कर ली।
क्या है नेहरो की स्थिति।
श्री शर्मा ने बताया की अभी 1 नवंबर से नेहरें खोली जाऐंगी किसानों को पानी उपलब्ध करवाने के लिए,कितनी जगह हम दिखा दें जिसमें 5000 लीटर पानी छोड़ेंगे वह 100 मीटर की दूरी पर भी नहीं पहुंचेगा क्योंकि नेहरों की सफ़ाई और मॉनिटरिंग नहीं हुई है कौन करेगा इन नेहराें की सफाई।10 दिन में सफाई होना है,सैकड़ो किलो मीटर हमारी नहरे हैं जो साफ होना नामुमकिन है।अब क्या किसान नेहरोँ की भी सफाई करवाए।यह कौन करेगा।अगर यह नहीं करेंगे तो हम ही जाएंगे नहरे साफ करने।श्री शर्मा ने पत्रकारों से भी निवेदन किया कि आप भी किसानों की इस मुसीबत में हमारा साथ दें।
किसानों के साथ धोखाधड़ी।
पूर्व विधायक पंडित गिरजा शंकर शर्मा ने बताया कि खाद बीज विक्रेता जो मनमर्जी बेच रहे हैं,एक शिकायत(माखन नगर)बाबई क्षेत्र से आई वैसे भी ज्यादातर शिकायतें माखन नगर(बाबई)क्षेत्र की हैं,वहां एक किसान को धान का बीज दिया यह कहकर की बहुत अच्छी क्वालिटी का है,जब किसान ने रोपा लगाया और 3 महीने का समय निकलने पर किसान ने फसल देखी तो वह बड़ी ही नहीं हुई,जब उसने विक्रेता को बताया तो कोई फायदा नहीं हुआ,तब किसान कलेक्टर के समक्ष जनसुनवाई में अपनी व्यथा बताने पहुंचा,तो वहां भी कोई निराकरण नहीं निकल पाया।श्री शर्मा ने कहा कि यह आखिर सरकार के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी क्या करते हैं,उनको जाकर बताना चाहिए यह जिम्मेदारी उनकी है,या नहीं है,वहीं डिप्टी डायरेक्टर और ना ही कृषि अधिकारी किसी को कोई मतलब नहीं है।ऐसे ही माखन नगर (बाबई)ब्लॉक के अनेकों किसान मूंग के भुगतान की बात भी निरंतर सामने ला रहे हैं,जनसुनवाई में पहुंच रहे हैं,लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है,हम पूछते हैं कि यह काम पेमेंट करवाने वाली एजेंसी का था।क्या यह काम कलेक्टर का नहीं है कि वह पूछे कि किसानों का भुगतान हुआ है या नहीं कौन करेगा सुनवाई।श्री शर्मा ने कहा कि ऐसी अनेकों समस्याओं के लिए हम और हमारी पार्टी पूरे दमख़म से हमारे अन्नदाताओं के साथ खड़ी है,और अगर सुनवाई नहीं होती है तो जो भी लोकतांत्रिक तरीके से संभव होगा हम वह सब करने के लिए तैयार हैं।
इन्होंने कहा।
जैसे ही सप्लाई का मामला चर्चा में आया पूरे किसान एक साथ टूट पड़े,बल्की अभी बोनी में लगभग 15 दिन शेष बचे हैं।डीएपी में ही थोड़ी देर है,लेकिन यूरिया की लगातार रैक लग रही हैं,अब सोसाइटी में भी आपूर्ति हो गई है,अब सब जगह से वितरण शुरू हो गया है।डबल लॉक ही एक माध्यम नहीं है,सोसाइटी में भी आपूर्ति हो रही है,एक सप्ताह में सारी परिस्थितियां सामान्य हो जाएंगी।हमें दूसरे विकल्पों पर भी सोचना चाहिए,जैसे नैनो यूरिया आ गया है,एन.पी.के. है यह सब विकल्प आने वाली पीढियों के लिए हमें सोचना पढ़ेंगे। किसान इस और ध्यान दें और जो जागरूक किसान हैं वह इस तरफ चल भी चुके हैं,हमारी सरकार पूरी कोशिश कर रही है स्थितियां सामान्य हैं,किसान चिन्तित ना हों।
योगेंद्र सिंह राजपूत
जिला अध्यक्ष भाजपा किसान मोर्चा।